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पश्चिम बंगाल: महिला की बेरहमी से पिटाई, अमित मालवीय का टीएमसी पर गंभीर आरोप

पश्चिम बंगाल में हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें एक व्यक्ति ने एक महिला और पुरुष को बेरहमी से डंडे से पीटता नजर आ रहा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा किया है। उनका दावा है कि यह घटना पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर के लक्ष्मीकांतपुर की है।

तजेमुल पर आरोप

अमित मालवीय ने आरोप लगाया है कि, वीडियो में जो व्यक्ति महिला को पीट रहा है, उसका नाम तजेमुल है, जो इलाके में “जेसीबी” के नाम से जाना जाता है। तजेमुल अपनी इंसाफ सभा के जरिए तुरंत न्याय देने के लिए इलाके में मशहूर है। मालवीय ने यह भी आरोप लगाया कि तजेमुल तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के विधायक हमीदुल रहमान का करीबी है।

शरिया अदालत का आरोप

अमित मालवीय ने आरोप लगाया कि टीएमसी शासित पश्चिम बंगाल में शरिया अदालतें चल रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए कहा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिलाओं के लिए अभिशाप हैं। बंगाल में कानून-व्यवस्था का कोई नामोनिशान नहीं है। क्या ममता बनर्जी इस राक्षस के खिलाफ कार्रवाई करेंगी या उसका बचाव करेंगी जैसे उन्होंने शेख शाहजहां के मामले में किया था?”

राजनीतिक हिंसा का बढ़ता आरोप

बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में बढ़ती राजनीतिक हिंसा का आरोप लगाया है। अमित मालवीय ने कहा कि कूचबिहार जिले में बीजेपी की एक महिला कार्यकर्ता को निर्वस्त्र कर पीटा गया। इसके बाद बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल के कूच बिहार जिले में टीएमसी समर्थकों ने बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा की एक महिला नेता के साथ मारपीट की।

मानवाधिकार संगठनों को पत्र

पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस घटना की जानकारी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) को दी है। उन्होंने इन संगठनों से 25 जून को हुई इस घटना की जांच कराने का अनुरोध किया है।

निष्कर्ष

पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा और राजनीतिक संघर्ष की घटनाओं ने राज्य की कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजेपी और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जारी है, लेकिन इन घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित आम जनता हो रही है। राज्य सरकार और संबंधित संस्थाओं को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उचित कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कानून व्यवस्था बहाल हो सके और आम जनता सुरक्षित महसूस कर सके।

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