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शशि थरूर के ‘वंशवाद’ पर लेख से सियासी भूचाल, बीजेपी ने कांग्रेस पर साधा निशाना

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर एक बार फिर चर्चा में हैं। इस बार वजह उनका कोई भाषण नहीं, बल्कि उनका लिखा हुआ एक आर्टिकल है, जिसने भारतीय राजनीति में वंशवाद की बहस को फिर से हवा दे दी है।

थरूर ने 31 अक्टूबर को ओपिनियन पोर्टल ‘प्रोजेक्ट सिंडिकेट’ पर एक लेख प्रकाशित किया था, जिसमें उन्होंने विस्तार से बताया कि राजनीतिक वंशवाद (Political Dynasties) किस तरह शासन की गुणवत्ता और लोकतांत्रिक प्रणाली को कमजोर करता है।

इस लेख के सामने आने के बाद बीजेपी ने इसे कांग्रेस के खिलाफ हथियार बना लिया है। बीजेपी का दावा है कि थरूर ने अपने लेख में अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी, तेजस्वी यादव जैसे नेताओं पर हमला बोला है और खुद अपनी पार्टी के अंदर मौजूद वंशवाद की पोल खोल दी है।

क्या लिखा थरूर ने अपने लेख में

थरूर ने अपने लेख में लिखा —

“स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और वर्तमान विपक्षी नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी वाड्रा सहित नेहरू-गांधी परिवार का प्रभाव भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा हुआ है, लेकिन इसने इस विचार को भी पुख्ता किया है कि राजनीतिक नेतृत्व एक जन्मसिद्ध अधिकार (Hereditary Right) हो सकता है।”

उन्होंने आगे कहा कि जब राजनीतिक सत्ता योग्यता, प्रतिबद्धता या जनता से जुड़ाव के बजाय वंश के आधार पर तय होती है, तो शासन की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
थरूर लिखते हैं,

“जब उम्मीदवारों की सबसे बड़ी योग्यता उनका उपनाम (Surname) हो, तो लोकतंत्र कमजोर पड़ता है।”

बीजेपी का पलटवार

थरूर के इस बयान ने बीजेपी को कांग्रेस पर हमला करने का नया मौका दे दिया।
बीजेपी प्रवक्ताओं ने कहा कि थरूर ने “सच्चाई को उजागर” किया है — कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी बनकर रह गई है।पार्टी का कहना है कि यह लेख कांग्रेस के भीतर बढ़ती आंतरिक असंतुष्टि को भी दिखाता है।

कांग्रेस नेताओं की सफाई और जवाब

थरूर के लेख के बाद कांग्रेस नेता बचाव की मुद्रा में नजर आए।
कांग्रेस सांसद उदित राज ने कहा —

“वंशवाद केवल राजनीति तक सीमित नहीं है। यह भारत के हर क्षेत्र में मौजूद है।
एक डॉक्टर का बेटा डॉक्टर बनता है, व्यापारी का बेटा व्यापारी।
राजनीति भी इसका अपवाद नहीं हो सकती।”

उन्होंने आगे कहा कि

“नायडू से लेकर पवार, डीएमके से लेकर ममता बनर्जी, मायावती से लेकर अमित शाह के बेटे तक — हर पार्टी में वंशवाद है।
फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ इसे स्वीकार करते हैं और कुछ छिपाते हैं।”

वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने गांधी परिवार का बचाव करते हुए कहा —

“पंडित जवाहरलाल नेहरू इस देश के सबसे योग्य प्रधानमंत्री थे।
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की सेवा की।
गांधी परिवार को अगर कोई ‘राजवंश’ कहता है, तो भारत में कोई दूसरा परिवार इतना त्याग और समर्पण नहीं दिखा पाया।”

राजनीतिक मायने

थरूर का यह लेख ऐसे समय पर आया है जब कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी है और राहुल गांधी लगातार बीजेपी पर “तानाशाही शासन” का आरोप लगा रहे हैं।
बीजेपी अब उसी तर्क का इस्तेमाल कर रही है कि कांग्रेस वंशवाद के दलदल में फंसी पार्टी है और थरूर की कलम ने इसे और उजागर कर दिया है।

निष्कर्ष

शशि थरूर का यह लेख केवल एक बौद्धिक विचार नहीं, बल्कि एक राजनीतिक तूफान बन गया है।जहां बीजेपी इसे कांग्रेस के खिलाफ साक्ष्य के रूप में देख रही है, वहीं कांग्रेस इसे “सामान्य बहस” करार दे रही है।
लेकिन एक बात साफ है —

थरूर की कलम ने भारतीय राजनीति में वंशवाद बनाम योग्यता की पुरानी बहस को फिर से जिंदा कर दिया है।

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