रेपो रेट 6.5% पर बरकरार: RBI ने ब्याज दरों में नहीं किया कोई बदलाव
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार आठवीं बार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 6.5% रेपो रेट को बरकरार रखने की घोषणा की है। यह निर्णय 5 जून से 7 जून के दौरान हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद लिया गया। इस बैठक में कमिटी के 6 सदस्यों में से 4 सदस्यों ने पॉलिसी रेट में कोई बदलाव न करने पर सहमति जताई।
ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं
RBI ने स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) रेट को 6.25% और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) रेट और बैंक रेट को 6.75% पर बरकरार रखा है। शक्तिकांत दास ने बताया कि MPC ने 4-2 के वोट से ‘विद्ड्रॉल ऑफ एकोमोडेशन’ के पक्ष में निर्णय लिया, जिसका मतलब है कि रिजर्व बैंक ने अपने रुख में भी कोई बदलाव नहीं किया है।
GDP ग्रोथ का अनुमान बढ़ाया
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि NSO के प्रॉविजनल अनुमान के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 (FY24) के लिए भारत की रियल GDP ग्रोथ 8.2% रहेगी। इसके साथ ही FY25 के दौरान Domestic Economic Activity में लचीलापन बना हुआ है। PMI मैन्युफैक्चरिंग मजबूत बना हुआ है, मई में PMI सर्विसेज 60.2 पर मजबूत रहीं हैं।शहरी क्षेत्रों में खर्च बढ़ने के साथ निजी खपत में भी सुधार हो रहा है।
महंगाई काबू में, CPI अनुमान 4.5% पर स्थिर
महंगाई के मोर्चे पर भी RBI ने satisfactory स्थिति दिखाई है। शक्तिकांत दास ने बताया कि CPI महंगाई दर में नरमी आई है, हालांकि खाद्य महंगाई दर में कुछ बढ़ोतरी देखने को मिली है। सब्जियों की कीमतें गर्मी में बढ़ी हैं, जबकि ईंधन की कीमतों में कमी आई है। सेवाओं की महंगाई दर अपने Historical Slope पर हैं और गुड्स इंफ्लेशन भी दायरे में है। RBI ने FY25 के लिए CPI महंगाई दर 4.5% पर स्थिर रहने का अनुमान दिया है।
FEMA नियमों में होगा बदलाव
RBI ने वस्तुओं और सेवाओं के इंपोर्ट-एक्सपोर्ट से जुड़े FEMA दिशानिर्देशों को युक्तिसंगत(Rationalize) बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जल्द ही जारी की जाएंगी। शक्तिकांत दास ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में तेजी से बदलती चीजों को देखते हुए FEMA के नियमों को बदलना होगा, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिलेगा और ऑथराइज्ड डीलर बैंकों को ज्यादा ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगा।
बल्क डिपॉजिट की लिमिट 3 करोड़
RBI ने बल्क डिपॉजिट की परिभाषा में भी बदलाव का प्रस्ताव दिया है। बल्क डिपॉजिट की लिमिट को 3 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा किया जाएगा। यानी जो भी डिपॉजिट 3 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा का होगा, उसे बल्क डिपॉजिट माना जाएगा। नए बल्क डिपॉजिट नियम बैंकों और स्मॉल फाइनेंस बैंकों पर लागू होंगे।
निष्कर्ष
RBI द्वारा रेपो रेट को 6.5% पर बरकरार रखने का निर्णय उन लोगों के लिए मायूस कर सकता है जो अपने होम लोन, कार लोन और अन्य लोन की EMI में राहत की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि, GDP ग्रोथ और महंगाई दर के अनुमानों में सुधार को देखते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के स्थिर और मजबूत बने रहने की उम्मीद है। FEMA नियमों में प्रस्तावित बदलाव और बल्क डिपॉजिट की नई परिभाषा व्यापारिक और बैंकिंग क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेतक हो सकते हैं।