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भारत बनेगा इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग का हब, लाखों नौकरियां पैदा होंगी: CII

आज के डिजिटल युग में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं। स्मार्टफोन से लेकर लैपटॉप और टेलीविजन तक, ये उपकरण हमारे दैनिक जीवन को बदल रहे हैं। ये उपकरण मनोरंजन करने, दुनिया से जुड़े रहने और नई तकनीकों का अनुभव करने के तरीके में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। भारत दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक बनकर उभरा है। हालांकि, अभी भी इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के मामले में भारत आयात (imports) पर निर्भर है।

इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट बनाए भारत, पैदा होंगी लाखों नौकरियां, सिर्फ असेंबल करने से नहीं बनेगा काम: CII रिपोर्ट

कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट और कंपोनेंट्स के निर्माण में अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत को इन प्रोडक्ट्स को सिर्फ असेंबल करने के बजाय, इनका बड़े पैमाने पर निर्माण करना चाहिए। ऐसा करने से भारत न केवल दुनिया में अपनी छाप छोड़ पाएगा, बल्कि इससे आर्थिक लाभ भी होंगे और लाखों नौकरियां पैदा होंगी।

बढ़ती डिमांड, कमजोर घरेलू उत्पादन

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत में 102 अरब डॉलर (8.52 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के उत्पादन के लिए लगभग 45.5 अरब डॉलर (3.8 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक घटकों की आवश्यकता थी। 2030 तक, यह मांग बढ़कर 240 अरब डॉलर (20.05 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि PCBA (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली) सहित महत्वपूर्ण घटकों की मांग 30% प्रति वर्ष की दर से बढ़ने का अनुमान है, जो 2030 तक 139 अरब डॉलर (11.61 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा।

पहचान किए गए 5 प्राथमिक घटक

रिपोर्ट में बैटरी (लिथियम आयन), कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल, डिस्प्ले और PCB सहित 5 प्रमुख घटकों की पहचान की गई है, जिन्हें भारत के लिए उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के रूप में चिह्नित (marked) किया गया है। इसमें कहा गया है कि साल 2022 में कंपोनेंट की कुल डिमांड में इनकी हिस्सेदारी 43 फीसदी थी । साल 2030 तक यह बढ़कर 51.6 अरब डॉलर (4.31 लाख करोड़ रुपये) हो जाने की उम्मीद है। वर्तमान में, इनमें से अधिकांश घटकों का भारत में या तो सीमित उत्पादन होता है या वे आयात पर निर्भर करते हैं।

रोजगार सृजन की क्षमता (Potential for employment generation)

रिपोर्ट में कहा गया है कि इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों और घटकों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने से भारत 2026 तक 2.8 लाख नौकरियां पैदा कर सकता है।

चुनौतियां और अवसर

चीन, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देश इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भारत के लिए प्रतिस्पर्धी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नीतिगत प्रोत्साहन और मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी।

निष्कर्ष

इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के भविष्य में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है, बशर्ते (provided) कि वह अपनी निर्माण रणनीति में बदलाव लाए। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) की रिपोर्ट इस दिशा में स्पष्ट संकेत देती है कि सिर्फ असेंबलिंग पर निर्भर रहने के बजाय बड़े पैमाने पर उत्पादन को प्राथमिकता देने से भारत को आर्थिक लाभ और रोजगार के व्यापक अवसर मिल सकते हैं।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक घटकों की मांग तेजी से बढ़ रही है और इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए देश को नीतिगत समर्थन और मजबूत बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होगी। प्रमुख घटकों जैसे बैटरी, कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल, डिस्प्ले और पीसीबी पर ध्यान केंद्रित करके, भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत कर सकता है और लाखों नौकरियों का सृजन (create) कर सकता है। इस दिशा में उचित कदम उठाने से भारत न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता भी बढ़ाएगा।

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