हाथरस सत्संग हादसा : भगदड़ से 121 की मौत, प्रशासनिक चूक के घेरे में
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उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ ने121लोगों की जान ले ली है, जबकि बड़ी संख्या में लोग अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इस घटना के पीछे की वज़ह और प्रशासनिक लापरवाही अब जांच के दायरे में हैं।
घटना का विवरण
यह भयंकर हादसा उस वक्त हुआ जब सत्संग में शामिल होने आए श्रद्धालु बाबा के चरण रज लेने और उनके पैर छूने की होड़ में एक-दूसरे को धक्का देने लगे। प्रशासन ने इस सत्संग में 80 हजार लोगों के शामिल होने की अनुमति दी थी, लेकिन आयोजकों ने अनुमति से कहीं ज्यादा लोगों को इकट्ठा होने दिया, जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई और भगदड़ मच गई।
प्रशासन और आयोजकों की लापरवाही
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने घटना की जांच के आदेश देते हुए ADG और कमिश्नर से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि SDM ने आयोजकों को सशर्त (Conditional) सत्संग की अनुमति दी थी, लेकिन आयोजकों ने उन शर्तों का पालन नहीं किया।
मुआवजे का ऐलान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये तथा गंभीर रूप से घायल लोगों को 50-50 हजार रुपये मुआवजे की घोषणा की है। केंद्र सरकार ने भी समान राशि देने की घोषणा की है।
भीड़ नियंत्रण में असफलता
आयोजन के दौरान अनुमानित भीड़ 80 हजार से कहीं अधिक थी। पुलिसबल की तैनाती के बावजूद प्रशासन और आयोजक भीड़ को नियंत्रित करने में असफल रहे। प्रशासनिक अनुमति के समय कुछ शर्तें रखी गई थीं, जिन्हें बाद में आयोजकों ने अनदेखा कर दिया, जिससे यह हादसा हुआ।
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मुख्य सचिव की प्राथमिकता (Priority)
मुख्य सचिव ने कहा कि फिलहाल प्राथमिकता घायलों को सही और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने की है। उन्होंने यह भी कहा कि जो आयोजक प्रशासनिक शर्तों का उल्लंघन करने के दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस हृदयविदारक घटना ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्थाओं की पोल खोली है, बल्कि आयोजकों की लापरवाही को भी उजागर किया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की जाती है और भविष्य में ऐसी घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है।हाथरस हादसे में अबतक 121 लोगो की मौत हुई इनमें 114 महिलाएं-बच्चे और 7 पुरुष शामिल है।
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