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चुनाव आयोग ने नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू किया विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब देश के नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू करने का ऐलान किया है। इस प्रक्रिया की शुरुआत 4 नवंबर 2025 से हो रही है, जबकि अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।

इस अभियान का उद्देश्य है कि कोई भी पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई भी अपात्र व्यक्ति मतदाता सूची में शामिल न रहे। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 51 करोड़ मतदाता हैं, जिनके नाम और विवरण की जांच की जाएगी।

किन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा पुनरीक्षण

दूसरे चरण में जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह प्रक्रिया चलेगी, उनमें शामिल हैं —

  1. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह
  2. लक्षद्वीप
  3. छत्तीसगढ़
  4. गोवा
  5. गुजरात
  6. केरल
  7. मध्य प्रदेश
  8. पुडुचेरी
  9. ⁠राजस्थान
  10. ⁠ तमिलनाडु
  11. ⁠ उत्तर प्रदेश
  12. ⁠पश्चिम बंगाल

इससे पहले पहले चरण में बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था, जिसकी अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी की गई थी। बिहार में करीब 7.42 करोड़ नाम वोटर लिस्ट में शामिल किए गए थे।

कब तक चलेगी यह प्रक्रिया

  1. प्रारंभ: 4 नवंबर 2025
  2. समापन: 4 दिसंबर 2025
  3. मतदाता सूची का मसौदा प्रकाशन: 9 दिसंबर 2025
  4. अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन: 7 फरवरी 2026

किन राज्यों में 2026 में होंगे चुनाव

इन राज्यों में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं।
वहीं असम में भी 2026 में चुनाव होने हैं, लेकिन वहां SIR की प्रक्रिया अलग से की जाएगी, क्योंकि राज्य में नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा था —

“नागरिकता अधिनियम के तहत असम में नागरिकता के लिए अलग प्रावधान हैं। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच कार्य पूरा होने वाला है। इसलिए 24 जून का SIR आदेश असम पर लागू नहीं होता।”

SIR का उद्देश्य

चुनाव आयोग के मुताबिक, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का मुख्य उद्देश्य है —

  1. हर पात्र नागरिक को मतदाता सूची में शामिल करना।
  2. किसी अपात्र व्यक्ति या अवैध विदेशी को सूची से हटाना।
  3. मतदाता सूची की शुद्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना।

यह प्रक्रिया विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि कई राज्यों में बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की संख्या को लेकर चिंताएं जताई गई हैं।

ऐतिहासिक संदर्भ

आखिरी बार 2002 से 2004 के बीच ऐसा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) किया गया था। अब दो दशकों बाद चुनाव आयोग इस प्रक्रिया को फिर से शुरू कर रहा है ताकि देश के मतदाता रिकॉर्ड को और सटीक और अद्यतन बनाया जा सके।

निष्कर्ष

चुनाव आयोग का यह कदम न केवल मतदाता सूची की विश्वसनीयता को मजबूत करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि लोकतंत्र की सबसे अहम प्रक्रिया — मतदान — पूरी पारदर्शिता और सटीकता के साथ हो।2026 के विधानसभा चुनावों से पहले यह पहल देशभर में स्वच्छ मतदाता सूची तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।

Source : PTI

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